Tuesday 14 February 2017

विमुद्रीकरण और उसके परिणाम

8 नवम्बर ,2016 को RBI की सहमति से भारत सरकार ने यह घोषणा की कि ₹500 और ₹1000 के बैंक नोटों को अब क़ानूनी रूप से अवैध माना जायेगा   "अर्थशास्त्र के अध्ययन के अंतर्गत किसी भी सीरीज एवं मूल्यवर्ग की मुद्राओं के अवैधिकरण की इस प्रक्रिया को विमुद्रीकरण कहा जाता है।  "








विमुद्रीकरण के सकारात्मक परिणाम 

  • बहुत हद तक कैश में मौजूद काले धन पर नियंत्रण लगा । 
  • जाली नोटों की समस्या एक झटके में लगभग समाप्त हो गई । 
  • आतंकवादियों,नक्सलियों ,उग्रवादियों आदि के आर्थिक संसाधनों पर गहरा प्रभाव पड़ा । 
  • बैंकिंग तंत्र को बड़ी मात्रा में नकदी की प्राप्ति हुई जिससे उसकी मौद्रिक तरलता में व्रद्धि हुई । 
  • राजस्व संग्रह में उल्लेखनीय वृद्वि हुई । 
  • डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिला,जिससे वित्तीय तंत्र में पारदर्शिता आएगी । 

नकारात्मक परिणाम 

  • अर्थव्यवस्था में नकदी का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया जिससे सामान्य जनजीवन में व्यापक कठिनाइयां आई । 
  • कृषि ,विनिर्माण एवं असंगठित क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा । 
  • RBI ,मुद्रा और बैंकिंग प्रणाली के प्रति लोगों का विशवास काम हुआ । 

आगे कौन -से कदम उठाए जाने चाहिये ?

  • काले धन की समस्या से लड़ने के लिये बेनामी संपत्ति ,रियल एस्टेट क्षेत्र तथा सोना के रूप में अवैध रूप से जमा किये गए धन पर भी कार्रवाई करनी चाहिये । 
  • कैशलेस भुगतान के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ साथ वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार कैशलेस की बजाय 'लेस कैश ' को बढ़ावा देना चाहिये । 

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