ऐसी इमारत जिसके डिजाइन से लेकर निर्माण और रख-रखाव तक में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाता है उसे हरित इमारत कहा जाता है । ये इमारतें बिजली पानी और अन्य संसाधनों की अधिक से अधिक बचत कर प्रदुषण की रोकथाम में मददगार होती है। इन बिल्डिंग्स को ग्रीन कंस्ट्रक्शन या सस्टेनेबल बिल्डिंग्स के नाम से भी जाना जाता है । अतः राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार आज दुनिया में बिजली की 40 प्रतिशत खपत और कार्बन डाई ऑक्साइड के 24 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए पंरपरागत इमारतें जिम्मेदार हैं
भारत में हरित इमारतों की शुरुआत 2003 में हैदराबाद के सीआईआई-सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के निर्माण के साथ हुई थी इसके बाद देश में ग्रीन हरित इमारतें बनाने का सिलसिला धीरे-धीरे चल निकला।
इसी का परिणाम है जो आज देश में लगभग 1 करोड़ 60 लाख वर्ग मीटर का हरित इमारत क्षेत्र मौजूद है अथवा इस पर काम चल रहा है ।
हरित इमारतों के मामले में चीन और कनाडा के बाद भारत तीसरे का स्थान है। अमेरिका की ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की एक रिपोर्ट में अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों को रेखांकित किया गया है जहाँ टिकाऊ इमारतों के डिजाइन के क्षेत्र में उल्लेखनीय तरक्की हुई है ।
भारत में हरित इमारतों की शुरुआत 2003 में हैदराबाद के सीआईआई-सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के निर्माण के साथ हुई थी इसके बाद देश में ग्रीन हरित इमारतें बनाने का सिलसिला धीरे-धीरे चल निकला।
इसी का परिणाम है जो आज देश में लगभग 1 करोड़ 60 लाख वर्ग मीटर का हरित इमारत क्षेत्र मौजूद है अथवा इस पर काम चल रहा है ।
हरित इमारतों के मामले में चीन और कनाडा के बाद भारत तीसरे का स्थान है। अमेरिका की ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की एक रिपोर्ट में अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों को रेखांकित किया गया है जहाँ टिकाऊ इमारतों के डिजाइन के क्षेत्र में उल्लेखनीय तरक्की हुई है ।
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