भारतीय रुपये के नोट की विशेषताएँ
भारतीय रुपया 1957 तक तो 16 आनों में विभाजित रहा, परन्तु उसके बाद (1957 में ही) उसने मुद्रा की दशमलव प्रणाली अपना ली और एक रुपये की गणना 100 समान पैसों में की गई।
महात्मा गांधी वाले कागजी नोटों की शृंखला की शुरूआत 1996 में हुई, जो आज तक चलन में है।
नोटों के एक ओर सफेद वाले भाग में महात्मा गांधी का वाटर मार्क बना हुआ है।
सभी नोटों में चांदी का सुरक्षा धागा लगा हुआ है जिस पर अंग्रेज़ी में आरबीआई और हिंदी में भारत अंकित है। प्रकाश के सामने लाने पर इनको देखा जा सकता है।
पांच सौ और एक हज़ार रुपये के नोटों में उनका मूल्य प्रकाश में परिवर्तनीय स्याही से लिखा हुआ है। धरती के समानान्तर रखने पर ये संख्या हरी दिखाई देती हैं परन्तु तिरछे या कोण से देखने पर नीले रंग में लिखी हुई दिखाई देती हैं।
बात सन् 1917 की हैं, जब 1₹ रुपया 13$ डॉलर के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत आजाद हुआ, 1₹ = 1$ कर दिया गया। फिर धीरे-धीरे भारत पर कर्ज बढ़ने लगा तो इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रुपये की कीमत कम करने का फैसला लिया उसके बाद आज तक रुपये की कीमत घटती आ रही है। सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही मिलेंगे।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनवरी 1938 में पहली बार 5 ₹ की पेपर करंसी छापी थी। जिस पर किंग जार्ज-6 का चित्र था। इसी साल 10,000 ₹ का नोट भी छापा गया था लेकिन 1978 में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया।
आज़ादी के बाद पाकिस्तान ने तब तक भारतीय मुद्रा का प्रयोग किया जब तक उन्होंने काम चलाने लायक नोट न छाप लिए।
एक समय ऐसा था, जब बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए भारत से 5 रूपए के सिक्के मंगाया करता था। 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड बनते थे। 1 ब्लेड की कीमत 2 रुपए होती थी तो ब्लेड बनाने वाले को अच्छा फायदा होता था। इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिक्का बनाने वाला मेटल ही बदल दिया।
आज़ादी के बाद सिक्के तांबे के बनते थे। उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और1988 में स्टेनलेस स्टील के बनने शुरू हुए।
भारतीय नोट पर महात्मा गांधी की जो फोटो छपती हैं वह तब खींची गई थी जब गांधीजी, तत्कालीन बर्मा और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात करने गए थे। यह फोटो 1996 में नोटों पर छपनी शुरू हुई थी। इससे पहले महात्मा गांधी की जगह अशोक स्तंभ छापा जाता था।
भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट नेपाल में नहीं चलते।
500 ₹ का पहला नोट 1987 में और 1,000 ₹ पहला नोट सन् 2000 में बनाया गया था। फिलहाल 1,000 ₹ का नोट बंद हो चुका है। और 500₹ का नया नोट बाज़ार में आ रहा है।
भारत में 75, 100 और 1,000 ₹ के भी सिक्के छप चुके हैं।
1 ₹ का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000 ₹ तक के नोट RBI द्वारा जारी किये जाते थे।
एक समय पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए 0 ₹ का नोट 5th pillar नाम की गैर सरकारी संस्था द्वारा जारी किए गए थे।
10 ₹ के सिक्के को बनाने में 6.10₹ की लागत आती हैं।
नोटों पर सीरियल नंबर इसलिए डाला जाता हैं ताकि आरबीआई (RBI) को पता चलता रहे कि इस समय मार्केट में कितनी करंसी हैं।
रुपया भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की भी करंसी हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार भारत हर साल 2,000 करोड़ करंसी नोट छापता हैं।
कम्प्यूटर पर ₹ टाइप करने के लिए ‘Ctrl+Shift+$’ के बटन को एक साथ दबाएँ।
₹ के इस चिन्ह को 2010 में उदय कुमार ने बनाया था। इसके लिए इनको 2.5 लाख रूपयें का इनाम भी मिला था।
हर सिक्के पर सन् के नीचे एक खास निशान बना होता है आप उस निशान को देखकर पता लगा सकते हैं कि ये सिक्का कहाँ बना हैं-
- मुंबई – हीरा [◆]
- नोएडा – डॉट [.]
- हैदराबाद – सितारा [★]
- कोलकाता – कोई निशान नहीं
एक नोट को छापने में लगने वाली लागत
- 1₹ = 1.14₹
- 10₹ = 0.66₹
- 20₹ = 0.94₹
- 50₹ = 1.63₹
- 100₹ = 1.20₹
- 500₹ = 2.45₹
- 1,000₹ = 2.67₹
भारतीय रुपये के नोट के भाषा पटल पर भारत की 22 सरकारी भाषाओं में से 15 में उनका मूल्य मुद्रित है। ऊपर से नीचे इनका क्रम इस प्रकार है – असमिया, बंगला, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू।
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